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श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥
भावार्थ :
जो शिव स्वयं कल्याण स्वरूप हैं, और जो पार्वती के मुख कमलों को विकसित करने के लिए सूर्य हैं, जो दक्ष–प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने वाले हैं, नील वर्ण का जिनका कण्ठ है, और जो वृषभ अर्थात् धर्म की पताका वाले हैं; ऐसे उस शिकार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करता हूँ।
इस पोस्ट को आप अपने मित्रो और शुभ चिंतको को अवश्य भेजे क्योकि वो कहा गया है न कि "कर भला सो हो भला"।

उपाय:- सोमवार को इस मंत्र का उच्चारण करके भगवान भोले नाथ को जल देने वाले जातक के समस्त पाप काट जाते है और साथ ही साथ वो भय मुक्त होता है।
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥
भावार्थ :
जो शिव स्वयं कल्याण स्वरूप हैं, और जो पार्वती के मुख कमलों को विकसित करने के लिए सूर्य हैं, जो दक्ष–प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने वाले हैं, नील वर्ण का जिनका कण्ठ है, और जो वृषभ अर्थात् धर्म की पताका वाले हैं; ऐसे उस शिकार स्वरूप शिव को मैं नमस्कार करता हूँ।
इस पोस्ट को आप अपने मित्रो और शुभ चिंतको को अवश्य भेजे क्योकि वो कहा गया है न कि "कर भला सो हो भला"।
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